प्रिय ब्लॉगर्स मित्रों,
मैं, "पत्रिका गुंजन" ब्लॉग की पहली पोस्ट देते हुये अतीव उत्साह से भरा हुआ महसूस कर रहा हूँ । आशा है कि आपका समर्थन हमारे इरादों को मजबूती और जोश प्रदान कर उत्साहवर्धन करेगा।
मुझे यह आप सबसे बाँटते हुये बड़ी खुशी हो रही है कि, मेरे कवि मित्र श्री जीतेन्द्र चौहान अपनी धुन के पक्के, मज़बूत इरादे वाले और ज़मीन से जुड़े हुये इंसान है । श्री जीतेन्द्र ने अपने दो काव्य संग्रह " पुरखों के बीच " और " टाँड से आवाज " के बाद यह निश्चय लिया की एक साहित्यिक पत्रिका को आकार देना है जो प्रिंट माध्यम और अंतरजाल के बीच सेतु की तरह कार्य कर सके।
करीब छः माह के प्रयासों ( इस अवधि में संसाधनों के प्रबंधन से लगाकर अभिकल्पना को मूर्त रूप देने तक शामिल है ) के पश्चात वह दिन आया कि "गुंजन" अपने प्रवेशांक के साथ तैयार है।
प्रवेशांक के आकर्षण हैं :-
(१) कहानी : (१) सुश्री साधना श्रीवास्तव
(२) कवितायें : (१) श्री निर्मल शर्मा (२) श्री अजीत चौधरी (३) श्री बहादुर पटेल (४) डॉ। राजेश दीक्षित ’नीरव’ (५) सुश्री रंजना फतेपुरकर (६) श्री देवेन्द्र कुमार मिश्रा (७) श्री चाँद शेरी (८) डॉ। सोनाली निर्गुन्दे (९) मुकेश कुमार तिवारी
(३) साक्षात्कार : (१) श्री सदाशिव कौतुक (साहित्यकार), सुश्री ममता बड़जात्या (फिजियो)
(४)आलेख : (१) श्री सुभाष रानाड़े (२) सुश्री जया जादवानी (३) श्री निर्मल शर्मा (४) श्री प्रदीप मिश्रा (५) श्री ओम द्विवेदी (६) श्री मोहन सिँह सिसौदिया (७) श्री सुनील (८) श्री सुधीर सोमानी, (९) श्री आनंद विजय पगारे (१०) श्री विनायक राजहंस (११) श्री कपिल पंचोली (१२)
(५) व्यंग्य : श्री दिलीप चिंचालकर
(६) समीक्षायें : (१) श्री सदाशिव कौतुक (२) रफि़क विसाल (३) शिखा त्रिवेदी (४) श्री मनोज पांचाल (५) श्री देवेन्द्र रिणवा
आगामी दिनों में पत्रिका-गुंजन के प्रवेशांक में समाहित सभी आलेखों को ब्लॉग के माध्यम से आप तक पहुँचाया जायेगा।
आपका समर्थन और सहयोग के आकांक्षी
जीतेन्द्र चौहान मुकेश कुमार तिवारी
मैं, "पत्रिका गुंजन" ब्लॉग की पहली पोस्ट देते हुये अतीव उत्साह से भरा हुआ महसूस कर रहा हूँ । आशा है कि आपका समर्थन हमारे इरादों को मजबूती और जोश प्रदान कर उत्साहवर्धन करेगा।
मुझे यह आप सबसे बाँटते हुये बड़ी खुशी हो रही है कि, मेरे कवि मित्र श्री जीतेन्द्र चौहान अपनी धुन के पक्के, मज़बूत इरादे वाले और ज़मीन से जुड़े हुये इंसान है । श्री जीतेन्द्र ने अपने दो काव्य संग्रह " पुरखों के बीच " और " टाँड से आवाज " के बाद यह निश्चय लिया की एक साहित्यिक पत्रिका को आकार देना है जो प्रिंट माध्यम और अंतरजाल के बीच सेतु की तरह कार्य कर सके।
करीब छः माह के प्रयासों ( इस अवधि में संसाधनों के प्रबंधन से लगाकर अभिकल्पना को मूर्त रूप देने तक शामिल है ) के पश्चात वह दिन आया कि "गुंजन" अपने प्रवेशांक के साथ तैयार है।
प्रवेशांक के आकर्षण हैं :-
(१) कहानी : (१) सुश्री साधना श्रीवास्तव
(२) कवितायें : (१) श्री निर्मल शर्मा (२) श्री अजीत चौधरी (३) श्री बहादुर पटेल (४) डॉ। राजेश दीक्षित ’नीरव’ (५) सुश्री रंजना फतेपुरकर (६) श्री देवेन्द्र कुमार मिश्रा (७) श्री चाँद शेरी (८) डॉ। सोनाली निर्गुन्दे (९) मुकेश कुमार तिवारी
(३) साक्षात्कार : (१) श्री सदाशिव कौतुक (साहित्यकार), सुश्री ममता बड़जात्या (फिजियो)
(४)आलेख : (१) श्री सुभाष रानाड़े (२) सुश्री जया जादवानी (३) श्री निर्मल शर्मा (४) श्री प्रदीप मिश्रा (५) श्री ओम द्विवेदी (६) श्री मोहन सिँह सिसौदिया (७) श्री सुनील (८) श्री सुधीर सोमानी, (९) श्री आनंद विजय पगारे (१०) श्री विनायक राजहंस (११) श्री कपिल पंचोली (१२)
(५) व्यंग्य : श्री दिलीप चिंचालकर
(६) समीक्षायें : (१) श्री सदाशिव कौतुक (२) रफि़क विसाल (३) शिखा त्रिवेदी (४) श्री मनोज पांचाल (५) श्री देवेन्द्र रिणवा
आगामी दिनों में पत्रिका-गुंजन के प्रवेशांक में समाहित सभी आलेखों को ब्लॉग के माध्यम से आप तक पहुँचाया जायेगा।
आपका समर्थन और सहयोग के आकांक्षी
जीतेन्द्र चौहान मुकेश कुमार तिवारी
12 टिप्पणियां:
आपका प्रयास सराहनीय है.आशा करता हूँ आपको सफलता जरूर मिलेगी.
आपकी पत्रिका के सफ़लता के लिये शुभकामनायें...
बहुत ही अच्छा काम कर रहे है आप, आपके इस कार्य में आपको भरपूर सफलता मिले...
हमारी शुभकामनाएं.....
शुभकामनाएं
शुभकामनायें...!!!
मुझे आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा! बहुत बहुत शुभकामनायें! मेरे ब्लोगों पर आपका स्वागत है!
बहुत्बहुत शुभकामनाये आपको..
आपकी ये पत्रिका खूब नाम कमाए...
पत्रिका के लिये बहुत बहुत बधाई....
aapke is shubh-kaary kee safaltaa kee mangalkaamnaa....aur sansaar ke sabhi bhooton kee aur se aseem shubhkaamnaayen...!!
आपकी पत्रिका के सफ़लता के लिये शुभकामनायें...
आपका प्रयास सराहनीय है.आशा करता हूँ आपको सफलता जरूर मिलेगी.
मान्यवर,
आपकी प्रतिक्रिया के लिए आभारी हूँ. 'गुंजन' के प्रकाशन की योजना achhi भी है और एक बड़ा दायित्व भी ! मेरी शुभकामना स्वीकार करें !
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